दांतारामगढ़ |
कल देर रात प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीणमाता मंदिर में दर्शन करने पहुंचे बत्तीसी संघ और पुजारियों के बीच जमकर विवाद हो गया। स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए मंदिर ट्रस्ट के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया हालांकि उच्च अधिकारियों के आने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
हाथापाई और तोड़फोड़ की नौबत
जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीणमाता मंदिर में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आयोजित लक्खी मेले के दौरान कल देर रात एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। यह विवाद मंदिर ट्रस्ट के पुजारियों और बत्तीसी संघ के श्रद्धालुओं के बीच हुआ, जिसमें हाथापाई और तोड़फोड़ की नौबत आ गई। विवाद इतना बढ़ गया कि प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा और जब मामला शांत कराने के लिए तहसीलदार महिपाल सिंह राजावत व पुलिस प्रशासन दोनों पक्षों के बीच जाने लगे तो मंदिर के पुजारियों द्वारा तहसीलदार सहित पुलिस कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया और उनके साथ धक्का मुक्की की गई उसके बाद मामला इतना बढ़ गया कि उसे शांत करने के लिए देर रात को जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा और पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव को मौके पर पहुंचना पड़ा और दोनों पक्षों से समझाइश कर कड़ी मशक्कत के बाद मामला शांत करवाया और 3 घंटे बाद दर्शन व्यवस्था फिर से शुरू हुई।
कैसे शुरू हुआ विवाद
बत्तीसी संघ, जो 32 गांवों के लोगों का एक धार्मिक संघ है, हर साल चैत्र नवरात्रि में षष्ठी तिथि को पुरानी परंपरा अनुसार जीणमाता मंदिर में धोक लगाता है और विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इसी क्रम में इस वर्ष भी बत्तीसी संघ मंदिर पहुंचा। इससे पहले दोपहर में प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक में यह सहमति बनी थी कि जब बत्तीसी संघ दर्शन करेगा, तब केवल तीन पुजारी वहां मौजूद रहेंगे लेकिन जब संघ के लोग मंदिर पहुंचे, तो वहां तय संख्या से काफी अधिक पुजारी मौजूद थे। संघ के लोगों ने अतिरिक्त पुजारियों को हटाने की मांग की लेकिन पुजारी अपनी संख्या कम करने को तैयार नहीं थे। प्रशासन ने जब समझाइश दी तो मंदिर ट्रस्ट के पुजारी और उनके समर्थक उग्र हो गए। देखते ही देखते विवाद इतना बढ़ गया कि हाथापाई शुरू हो गई और प्रशासनिक अधिकारियों को भी धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा।
स्थिति बिगड़ने पर प्रशासन ने की कार्रवाई
स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए मंदिर ट्रस्ट के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया, जिससे नाराज होकर मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर के पट बंद कर दिए। पट बंद होने के कारण दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान बत्तीसी संघ के सदस्य मंदिर परिसर में बाहर धरने पर बैठ गए और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने लगे और मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। तब वहां पर मेला मजिस्ट्रेट एसडीएम मोनिका सामौर व डीएसपी कैलाश कंवर राठौड़ ने बत्तीसी संघ के लोगों से समझाइश की तब लोगों ने धरना समाप्त किया।
प्रशासन की समझाइश के बाद दर्शन हुए शुरू
रात को जब विवाद बढ़ता चला गया तब प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हुए और दांतारामगढ़ एसडीएम मोनिका सामोर ने बत्तीसी संघ के सदस्यों से वार्ता कर स्थिति को शांत करने की कोशिश की। बाद में सीकर जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा और पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव भी मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। करीब तीन घंटे तक मंदिर के पट बंद रहने के बाद अंततः प्रशासन और बत्तीसी संघ के हस्तक्षेप से मंदिर के पट फिर से खोल दिए गए और दर्शन व्यवस्था सामान्य हुई।
क्या है बत्तीसी संघ और परंपरा ?
बत्तीसी संघ 32 गांवों के श्रद्धालुओं का एक धार्मिक समूह है, जो खुद को मां जीण भवानी का वंशज मानते हैं। यह संघ मंदिर की पूजा-अर्चना और देखभाल की जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट को सौंप चुका है, लेकिन हर साल चैत्र नवरात्र में मंदिर में विशेष अधिकार और परंपराओं का पालन करने की मांग करता है। संघ की परंपरा के अनुसार यह श्रद्धालु चैत्र शुक्ल चतुर्थी को जीणमाता धाम के लिए निशान पदयात्रा निकालते हैं। इस दौरान कई लोग सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलते हैं, जो उनकी मन्नत का प्रतीक होती है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और हर साल हजारों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।